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तरबूज की खेती की संपूर्ण जानकारी

Posted on January 30, 2025January 30, 2025

[तरबूज की उन्नत खेती]

तरबूज से अधिक उत्पादन कैसे लें

*भूमि की तैयारी*
तरबूज की खेती कई तरह की मिट्टी में की जाती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है। खेत तैयार करने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और बाद की जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से करते हैं। इसके बाद बेड्स बना लें।

*किस्मों का चयन*

*संकर किस्में:* अर्को ऐश्वर्य, अर्को आकाश आदि।

*प्राइवेट सेक्टर की संकर किस्मेंः* काला छिलकाः शुगर झीन, ऑगस्टा (सिजेंटा), शगुर पकै (सेमिनिस), ब्लैक बादशाह, सागर किंग (सागर सीडस) आदि ।

*गहरा हरा छिलकाः* माधव (सेमिनि स), किरण-2 (नोनयू सीड) आदि।

*एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन तरबूज में खाद एवं उर्वरकों का उपयोग*

मृदा परीक्षण के आधार पर करें। फसल से अच्छी उपज लेने के लिए संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग बहुत जरुरी है। सामान्तया तरबूज में 100 कुंटल गोबर की खाद, 1 क्विंटल नीम खली प्रति एकड़ भूमि की तैयारी के समय मिट्टी में मिलायें। साथ ही तरबूज की फसल को 80 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। यदि आप ड्रिप का उपयोग कर रहे हैं और ड्रिप से ही उर्वरक देना चहाते हो तो फॉस्फोरस की 75 प्रतिशत मात्रा को बुआई के पूर्व खेत में मिला दें। इस हेतु 200 किलोग्राम सिगंल सपुर फास्फेट प्रति एकड़ आधार खाद के रूप में दें एवं शेष फॉस्फोरस, नत्रजन, पोटाश एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा फसल की विभिन्न अवस्थाओं में घुलनशील उर्वरकों के माध्यम से ड्रिप द्वारा दें। इसके लिए फसल में 19:19:19, 12:61:00, 13:00:45. 0:0:50, 0:52:34, यूरिया, कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम सल्फेट उर्वरकों का उपयोग अदल बदलकर फसल की अवस्थानुसार कर सकते हैं।

*बुआई क्षेत्र*

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुआई फरवरी से मार्च के बीच एवं नदियों के किनारे इसकी बुआई दिसम्बर से जनवरी के बीच में की जाती है।

*बीज की मात्रा*

बीज की मात्रा बुवाई के समय, जाति तथा बीज के आकार व दूरी पर निर्भर करती है। संकर किस्मों के लिए 400 ग्राम बीज प्रति एकड़ आवश्यकता पड़ती है।

*बीजोपचार*

बीजों को बोने से पहले ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम / किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बीज को 12-24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखने के बाद बुवाई करने से अच्छा अंकुरण होता है।

*बुआई*

बीज की बुआई के लिए उठी हुई 60 सेमी. चौड़ी बेड्स 150 सेमी. के अंतराल पर बनायें। बेड्स पर ड्रिप पाइप डालकर बीज की बुआई करें। बेड्स पर पर 45 से.मी. की दूरी पर बीज की बुआई करें। बुआई करते समय यह ध्यान रखें कि प्रत्येक बीज को उचित दूरी पर एवं ड्रिप लाइन में उपलब्ध छिद्र के पास ही बोया जाये ताकि छिद्र से निकला हुआ जल व जल मिश्रित उर्वरक पौधों की जड़ों को पूर्ण रूप से तथा आसानी से उपलब्ध हो सके। हाथ से बुवाई के बाद ड्रिप द्वारा सिचाई करें। चार से पांच दिन में बीज का अंकुरण

*तरबूज की खेती ग्रीष्मकाल में की जाती है। यह फसल उत्तरी भारत के भागों मेंअधिक पैदा की जाती है। गर्मियों में इसकी मांग भी ज्यादा होने के कारण किसानों अच्छा मुनाफा कमा सकता हैं। किसान माई ग्रीष्मकाल में तरबूज की खेती से 3 माह में 1 लाख रूपये प्रति एकड़ कमा सकते हैं।*

*फलों की तुड़ाई*

तरबूज के फलों को बुवाई से 75 से 80 दिन के बाद तोड़ना आरम्भ कर देते हैं। फलों को यदि दूर भेजना हो तो पहले ही तोड़ें। प्रत्येक जाति के हिसाब से फलों के आकार व रंग पर निर्भर करता है कि फल अब परिपक्व हो चुका है। सामान्तया परिपन फलों को अंगुलियों से बजाने पर धप-चप की आवाज निकले तथा दाल (डंडरेल) सूख जावे तो फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फल का पेंदा जो भूमि में रहता है यदि सफ़ेद से पीला हो जाये तो फल पका हुआ समझें। दबाने पर यदि फल दब जाता हैं एवं हाथों से ज्यादा ताकत नहीं लगानी पड़ती हैं तो फल पका हुआ समझें।
*प्लास्टिक मलचिंग का उपयोग*

तरबूज की खेती हेतु बेड्स बनाते समय 30 माइक्रोन मोटाई की रजत काली रंग की प्लास्टिक शीट का उपयोग लाभप्रद होता है क्योंकि इससे खरपतवारों की रोकथाम होती है, नमी लम्बे समय तक बनी रहती है। साथ ही प्लास्टिक मल्व के उपयोग से रस चूसक कीटों का प्रकोप भी कम पाया गया है।

*सिंचाई*

पौधों की जल की मात्रा मौसम एवं जलवायु पर निर्भर करती है। आमतौर पर ड्रिप द्वारा प्रतिदिन सिचाई करें। ड्रिप सिचाई के उपयोग से जल की 50-60 प्रतिशत बचत होती है एवं उत्पादन में 60-80 प्रतिशत उपज में वृद्धि होती है।

*उपज*

तरबूज की पैदावार किस्म के अनुसार अलग-अलग होती है। साधारणतः तरबूज की औसतन पैदावार 150 से 200 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हो जाती हैं।

*भंडारण*

तरबूज को तोड़ने के बाय 2-3 सप्ताह आराम से रखा जा सकता है। फलों को हाथ से ले जाने में गिरकर टूटने का भी भय रहता है। फलों को 2 से 5 डिग्री सेल्शियस तापमान पर रखा जा सकता है।

*आय व्यय का ब्यौरा*

तरबूज की खेती पर औसतान। लाख रूपये प्रति एकड़ व्यय होता है। एक एकड़ से औसतन 200 क्विंटल तरबूज का उत्पादन हो सकता है। यदि बाजार में तरबूज 10 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है तो इस मान से एक एकड़ से 2 लाख रू. का तरबूज निकलता है। इस तरह एक एकड़ से 1 लाख रूपये का शुद्ध मुनाफा 3 माह में हो सकता है। तरबूज से शुद्ध मुनाफा तरबूज का उत्पादन एवं बाजार में तरबूज की विक्रय दर पर निर्भर करता है, यह आंकलित राशि से कम या अधिक हो सकता है।

 

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