अक्षय तृतीय पर होने वाली शास्त्र के अनुसार फसलों के उत्पादन की जानकारी
श्री लक्ष्मीनाथ भगवान की जय
आड़ी तोल बडवल वैशाख शुक्ल आखा तीज
30/04/2025
पानी – बराबर
चारा – बराबर
पोस्ता कतरिया – बराबर
पोस्ता राजहंस – ज्यादा
मेथी – ज्यादा
लहसन देशी – कम
रियावन लहसुन – बराबर
उठी लहसुन – कम
चिया सीट – ज्यादा
कलौंजी – बराबर
लाल किनोवा – बराबर
सफेद किनोवा(बड़ा दाना ) – ज्यादा
ईसबगोल – बराबर
अलसी – बराबर
चना विशाल – बराबर
सरसों – बराबर
जो – बराबर
गेहूं 4037 – बराबर
गेहूं लोकवन – बराबर
मूंगफली लाल दाना – बराबर
मिर्च – कम
कपास – बराबर
तली – बराबर
मूंगफली चाइना – ज्यादा
अजवाइन – बराबर
मक्की gx 302 पीली – बराबर
चवला – कम
मूंग – बराबर
सोयाबीन 333 – बराबर
सोयाबीन 9560 – ज्यादा
सोयाबीन 1569 – ज्यादा
सोयाबीन black gold – बराबर
सोयाबीन 2034 – कम
उड़द – बराबर
मक्की हाय टेक 5106 – ज्यादा
मक्की सफेद – कम
नोट :
लाल कलर में बताई गई फसल उत्पादन कम होगा
हरा कलर में बताई गई फसल का उत्पादन ज्यादा होगा
केसरी कलर में बताई गई फसल का उत्पादन बराबर होगा
“अक्षय तृतीया”
जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। अक्षय तृतीया (आखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है, उसमें प्रमुख स्थान अक्षय तृतीया का है।
कहते हैं कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है, जिससे अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभकार्य किया जा सकता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही धरा पर आए। कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था। ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था। तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को होते हैं।
“जय जय श्री राधे”